गांव के लड़कों के लिए ईमानदारी की मिसाल थे किसान पुत्र देवेंद्र , कहते थे-‘रौब गांठने के लिए नहीं पहनी वर्दी’
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उत्तर प्रदेश के कासगंज में शराब माफिया के दुस्साहसी हमले के शिकार बने सिपाही देवेंद्र अपने गांव के लड़कों के लिए ईमानदारी की मिसाल थे। वह अक्सर कहते थे कि रौब गांठने के लिए वर्दी नहीं पहनी। पीड़ितों के काम आ सकें इसलिए वर्दी पहनी है। देवेंद्र को ऐसी जगह तैनाती पसंद नहीं थी जहां वसूली के आरोप लगें। वह अपनी नौकरी पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ किया करते थे। गांव वालों ने बताया कि बहुत ही सरल और मिलनसार स्वभाव के थे।
आगरा के डौकी थाना क्षेत्र के नगला बिंदू गांव के चार युवक वर्ष 2015 में एक साथ पुलिस में भर्ती हुए थे। देवेंद्र जब भी छुट्टी पर आते गांव के नौजवान उन्हें घेर लिया करते थे। यह पूछते थे कि उन्होंने तैयारी कैसे की थी। देवेंद्र के साथ मनीष, नीरज और यशपाल भी पुलिस में भर्ती हुए थे। सभी ने एक साथ तैयारी की थी। सुबह साथ दौड़ने आया करते थे। गांव वालों ने बताया कि देवेंद्र जब भी गांव में आते अपने से बड़ों के पैर छुआ करते थे। उन्हें इस बात का कोई घमंड नहीं था कि वह पुलिस में है। वह युवाओं से यही कहते कि रौब गांठने के लिए वर्दी नहीं पहनी है। देवेंद्र के उनके शहीद होने की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए। सिपाही के परिजनों को संभाला। पिता रात में ही रिश्तेदार के साथ कासगंज रवाना हो गए। गांव में हर कोई यही बोल रहा था कि बहुत बुरा हुआ।
देवेंद्र जसावत के पिता महावीर सिंह किसान हैं। देवेंद्र अपने पिता के इकलौते बेटे थे। एक छोटी बहन है प्रीति। मई में उसकी शादी है। ग्रामीणों ने बताया कि शमसाबाद थाना क्षेत्र का एक युवक कासगंज में सिपाही है। वह देवेंद्र का दोस्त है। उसने ही उनके साथ हुई घटना की जानकारी गांव में फोन पर दी थी। जैसे ही देवेंद्र के परिजनों को घटना की जानकारी हुई घर में कोहराम मच गया। आनन-फानन में रिश्तेदार और गांव के कुछ लोगों ने महावीर सिंह को साथ लिया और कासगंज के लिए रवाना हो गए। ग्रामीणों ने बताया कि देवेंद्र विवाहित थे। वर्ष 2016 में शादी हुई थी। पत्नी का नाम चंचल है। पति की मौत की खबर से पत्नी को गहरा धक्का लगा है। उनकी हालत किसी से देखी नहीं जा रही है। दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी वैष्णवी तीन साल की है। छोटी बेटी महज चार माह की है।